पाड़वा गाँव

पाड़वा गाँव का परिचय

 

पाड़वा, राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित एक सुंदर गाँव है, जो हरे-भरे पहाड़ों से घिरा हुआ है। पाड़वा, डूंगरपुर शहर से लगभग 42 km, सागवाड़ा से लगभग 15 km व उदयपुर से लगभग 120 km दूर है, और यहाँ सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह गाँव से नजदीकी डूंगरपुर जिल्हास्तरीय रेल्वे स्टेशन है और हवाई यातायात dabok airport और अहमदाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट है

पाड़वा गाँव और जैन धर्म

पाड़वा की शांति और धार्मिकता गाँव को विशेष बनाती है। पाड़वा में दो प्रमुख जैन मंदिर हैं, जो तीर्थंकर आदिनाथ और संभवनाथ को समर्पित हैं।

पुराने आदिनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार होकर अब नवीन श्री महावीर स्वामी जिन मंदिर का निर्माण हुआ है। मानो ऐसा लगता है, नवीन जिन मंदिर में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ से लेकर वर्तमान तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी सभी 24 तीर्थंकरों का समावेश है जो अपने आप में एक विशेष संजोग है।

गाँव की प्राकृतिक सुंदरता और इन मंदिरों की आध्यात्मिकता मिलकर एक अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं,  जो यहाँ आने वालों को शांति और संतोष का एहसास कराते हैं। विशेषकर पर्युषण महापर्व, महावीर जयंती व रथोत्सव के दौरान यह स्थान धार्मिक उमंग से भर जाता है।

नवीन जिनालय गांव के बीचों बिच स्थित है जहा पर आस पास शंकरजी व हनुमानजी का मन्दिर है । इसे आदीनाथ या होलीचौक भी कहा जाता है जहा भक्तो का हमेशा ताता लगा रहता है और सभी समाज के लोग आपसी प्रेम और सौहार्द से रहते है ।

पाड़वा गाँव और संतों का आशीर्वाद

पाड़वा की धरा पर कई संतों ने जन्म लेकर जिनशासन का परचम लहराया इसलिए इसे धर्म नगरी भी कहा जाता है!

इस धरा से बाल ब्रह्मचारी आचार्य श्रेयसागरजी, आर्यिका श्रेयमति माताजी ने जन्म लिया है, जो वर्तमान में समाधि रत्न आचार्य वासुपूज्य सागरजी के संघ निर्वाहक हैं!

समाधि रत्न त्यागी संत :
मुनि श्री अमूल्य सागरजी (गृहस्थ नाम खेमराजजी विरदावत),
मुनि श्री अनमोल सागरजी (गृहस्थ नाम शंकरलालजी पगारिया),
मुनि श्री विश्वास सागरजी (गृहस्थ नाम हीरालालजी जोदावत),
माताजी रिद्धिमतीजी (गृहस्थ नाम मेवाबाई नाथूलालजी विरदावत)
माताजी श्रेयांशमती माताजी (गृहस्थ नाम कमाला बाई विरदावत)

शुल्लिका : श्रवण मतीजी (गृहस्थ नाम भूरी बाई)

बाल ब्रह्मचारी : शांताबेन व हरिप्रिया दीदी ने भी इस धरा पर जन्म लेकर इसे सुशोभित किया है!

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